अचानक से सोचा कि कुछ लिखूं , कुछ कहूँ, किसी से बातें करूँ , फ़िर सोचा कि क्या लिखु , क्य कहु , और किस से बातें करू ?
फिर ख्याल आय भई डेमोक्रेसी है कुछ भी लिख सकता हुँ , कुछ भी बोल सकता हुँ, कहीं भी लिख सकता हू , और ऐसा क्यूँ ना करूँ , मै तो सिर्फ़ जनता हूँ , जब मुझे प्रतिनिधित्व करनेवाले कुछ भी बोल सकते हैं ? कहीं भी बोल सकते हैं ? ,किसी से बोल सकते हैं ? फिर मैं तो भला एक आम आदमी हूँ ! माफ़ कीजिएगा मैं ना तो आम आदमी पार्टी का सदस्य , न समर्थक और न ही विरोधी हूँ सिर्फ़ आम आदमी हूँ ! ऐसा कह सकते हैं कि आम युवा हूँ ! आम भारतवासी हूँ जो ट्विटर , फेसबुक ,व्हाट्स एप्प ,iphone ,nexus ,सब जानता है।
सेक्युलर शब्द को लोग अपने आपने डिक्शनरी के हिसाब से नई नई परिभासा दे रहे हैं ,सबके परिभाषा में एक चीज कि समानता है , वो ये कि सब सेक्युलर शब्द को परिभासित करने कए लिये संभिधान क़ी दुहाई दे रहे हैं और उसका सहारा ले रहें हैं। ऐसा लगता है सेक्युलर अब सेक्युलर रह हि नही गया अब ये सोध का विशय बन के रह गया है। मझे अब सेक्युलर शब्द सूनने और लिखने मैं ही इतना डर लग रहा है ,लग रहा है , मै बोल तो सेक्युलर रहा हूँ, सुनाई तो सेक्युलर दे रहा है ,लेकिन पता नहीं क्यूँ ऐसा लग रहा है कि कहीं पीछे से कम्युनल भी आवाज दे रहा है।
मैं अन्तिम में मेरे कुछ सवाल जो मेरे जहन में आ रहे हैं , जिनका जवाब नही मिल रहा आपके लिये छोड़ रहा हूँ , अगर ज़वाब मिल जाये , या पता चले ,जवाब सही हो या गलत , जरुर बतायेगा
क्या सेक्युलर होने और अहिंसक होना एक ही है ??
क्या कम्युनल होना, हिंसक होने के बराबार है ??
क्या हम एक खास तरह के जानवरो पर हिंसा करने वालों को कम्युनल नहीं कहेँगे (वैसे जिसमें एक खास धर्म क लोग आस्था रखते हैं )
नोट :ध्यान रखें हम में से ही ऐसे लोग हैं जो पहले कभी मांसाहारी थे और अब शाकाहारी हैँ और जो पहले शाकाहारी थे अब मांसाहारी हैँ
धन्याबाद
मैं विवेक
email -vivekantamanna @gmail.com
फिर ख्याल आय भई डेमोक्रेसी है कुछ भी लिख सकता हुँ , कुछ भी बोल सकता हुँ, कहीं भी लिख सकता हू , और ऐसा क्यूँ ना करूँ , मै तो सिर्फ़ जनता हूँ , जब मुझे प्रतिनिधित्व करनेवाले कुछ भी बोल सकते हैं ? कहीं भी बोल सकते हैं ? ,किसी से बोल सकते हैं ? फिर मैं तो भला एक आम आदमी हूँ ! माफ़ कीजिएगा मैं ना तो आम आदमी पार्टी का सदस्य , न समर्थक और न ही विरोधी हूँ सिर्फ़ आम आदमी हूँ ! ऐसा कह सकते हैं कि आम युवा हूँ ! आम भारतवासी हूँ जो ट्विटर , फेसबुक ,व्हाट्स एप्प ,iphone ,nexus ,सब जानता है।
मैं कभी कभी सोचता हूँ , कि आजकल जब चुनाव और मतदान क मौसम है ,सारे दलोँ के बिच एक होड़ लगि है ये सबित करने के लिये कि कौन किस से कितना अधिक सेक्युलर है ? ऐसा लग रहा है ये प्रतिस्पर्धा तो है कम और ज्यादा सेक्युलर होने की वो भी अपने अपने हिसाब से ,लेकिन लोग प्रयास ऐसा कर रहे हैँ जिस से ये पता चले कि कौन सेक्युलर है ? और कौन कम्युनल है ? वो भी पूरा पूरा !
सेक्युलर शब्द को लोग अपने आपने डिक्शनरी के हिसाब से नई नई परिभासा दे रहे हैं ,सबके परिभाषा में एक चीज कि समानता है , वो ये कि सब सेक्युलर शब्द को परिभासित करने कए लिये संभिधान क़ी दुहाई दे रहे हैं और उसका सहारा ले रहें हैं। ऐसा लगता है सेक्युलर अब सेक्युलर रह हि नही गया अब ये सोध का विशय बन के रह गया है। मझे अब सेक्युलर शब्द सूनने और लिखने मैं ही इतना डर लग रहा है ,लग रहा है , मै बोल तो सेक्युलर रहा हूँ, सुनाई तो सेक्युलर दे रहा है ,लेकिन पता नहीं क्यूँ ऐसा लग रहा है कि कहीं पीछे से कम्युनल भी आवाज दे रहा है।
मैं अन्तिम में मेरे कुछ सवाल जो मेरे जहन में आ रहे हैं , जिनका जवाब नही मिल रहा आपके लिये छोड़ रहा हूँ , अगर ज़वाब मिल जाये , या पता चले ,जवाब सही हो या गलत , जरुर बतायेगा
क्या सेक्युलर होने और अहिंसक होना एक ही है ??
क्या कम्युनल होना, हिंसक होने के बराबार है ??
क्या हम एक खास तरह के जानवरो पर हिंसा करने वालों को कम्युनल नहीं कहेँगे (वैसे जिसमें एक खास धर्म क लोग आस्था रखते हैं )
नोट :ध्यान रखें हम में से ही ऐसे लोग हैं जो पहले कभी मांसाहारी थे और अब शाकाहारी हैँ और जो पहले शाकाहारी थे अब मांसाहारी हैँ
धन्याबाद
मैं विवेक
email -vivekantamanna @gmail.com